Wednesday, September 28, 2011

प्रथम पुण्य तिथी 28.09.2011


क्या कहूँ शब्द ही जैसे ख़त्म हो गये हैं श्वेता  आज तुम्हारी पहली पुण्या तिथी है कभी ना सोचा था की ये दिन भी देखने पदेगे 







तुम्हारे जाने के बाद बहुत कुछ बदल गया मेरी जिंदगी
मैं और ऐसा बदलाव जो ना चाहते हुए भी मुझे स्वीकार करना पड़ा अगर नही बदला तो वो सदर बाजार की वो शॉप जहाँ हम अक्सर Tomato Soup पिया करते थे, वो फूल  वाले की दुकान जिसे तुम मेरा फूल वाला कहा करती थी, वो रास्ता , वो मंदिर, और भी बहुत कुछ......
दिल बहुत ज़ोर ज़ोर से रोना चाहता है पर मैं रो भी नही सकता सबके सामने कभी कभी लगता है भाग जाऊं बहुत दूर जहाँ सिर्फ़ मैं हूँ और तुम्हारी यादें ..      I Love You



Friday, September 23, 2011

Today Ansh is a One Year Old

My Dear Sweet Heart,

Today Our Ansh is a One Year Old. 
I Know that Shweta u also wish that his Birthday, bring loads of joyful and sweet memories in his life. May he has a great and successful year ahead.


Friday, September 16, 2011

आज कनागत की चतुर्थी तिथी है

आज घर मैं सबकी आँख जल्दी ही खुल गयी थी श्वेता, पर कोई किसी से कुछ कह नही रहा था,  आज के दिन की वो मनहूस सुबह सबको याद थी , आज कनागत  की चतुर्थी तिथी है

आँख खुलते ही वही सब कुछ आँखों के सामने आने लगा जब हम हॉस्पीटल मैं थे डॉक्टर साहब सुबह राउंड पर आए थे तो तुमने उनसे कहा की मुझे . मैं बहुत . हो रहा है पर वो बोले चिंता मत करो सब ठीक  हो जाएगा और उन्होने तुम्हे एक गोली दे दी,  मैने तुम्हे सुबह ०६:४५ पर दूध पिलाया था, और तुमने सुबह ७:०० बजे इलाहाबाद भाभी से फ़ोन पर पूछा था कि मम्मी पापा  किस डिब्बे मैं बैठे है  बेचारी भाभी को क्या पता था कि वो तुमसे आख़िरी बार बात कर रही है , फिर हम दोनो बात करते रहे और तुमने मुझसे कहा की मैं आगरा कैंट जाकर मम्मी पापा को ले आऊ, मैने कहा भी की आयुष को बोल देता हूँ वो जाकर ले आएगा पर तुमने मुझे ही भेज दिया, ऐक दिन पहले तक तो तुम मुझे अपने से दूर नही जाने दे रही थी कह रही थी क़ि तुम बस मेरे पास ही बैठे रहो, शायद तुम्हे भी कुछ एहसास हो गया होगा इसीलिए तुमने खुद ही मुझे अपने से बहुत दूर कर दिया, जब मैं गया तब तुमने कहा मेरी चिंता मत करो, मैंने तुम्हारे माथे पर चूमा और चला गया

मैं स्टेशन चला गया ०७:४५ पर लेकिन मेरा दिल अजीब सा हो रहा था, स्टेशन पहूंचा तो गाड़ी लेट थी, मुझे बहुत बैचेनी हो रही थी तुम्हारे पास आने की एक पल को लगा की मैं उन्हे बगेर लिए ही लौट आऊ तभी अचानक विशाल का फोन आया ०८:१५ पर की जल्दी आजा भाभी की तबीयत अचानक बहुत बिगड़ रही है, मैं उन्हे बगेर लिए ही वहाँ से बापस भागा मुझे बहुत ज़ोर ज़ोर  से रोना आ रहा था मेरा दिल बैठा जा रहा था लगा की कुछ बहुत ग़लत हो गया है, आकर मैं सीधा  तुम्हारे कमरे मैं आया तो देखा तुम बेहोश थी, विशाल रो रहा था, जब डॉक्टर से मैने पूछा की क्या हुआ है तो उसने कहा की she is dead  मैं चक्कर खाकर उसके कॅबिन मैं ही गिर पड़ा, मैं उठा ओर आकर तुम्हे बहुत उठाया बहुत हिलाया, पानी डाला, अपनी नाक भी सिकोडी जिसे देखकर तुम अक्सर हंस जाया करती थी  पर तुम नही हँसी तुम बहुत मुझसे नाराज़ होकर बहुत दूर  चली थी,

अभी हमारा अंश ४ दिन का भी नही हुआ था, समझ नही आ रहा था की उसका क्या होगा ?
कुछ ही पलों मैं मेरी दुनिया ही उजड़ गयी, कई बार मैंने कोशिश भी की तुम्हारे पास आने की पर हमारे अंश की मासूम सूरत मेरे सामने आ जाती है,

आज बहुत कुछ बदल गया है श्वेता पर मैं तुम्हे मेरी आत्मा से प्यार करता रहूँगा . . .

जगजीत सिंह की ये ग़ज़ल मेरे ऊपर बिल्कुल  सही बैठती है

चिट्ठी ना कोई संदेश…
जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गये हो

इस दिल पे लगा के ठेस जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गये हो

एक आह भरी होगी हमने ना सुनी होगी
जाते जाते तुमने आवाज़ तो दी होगी
हर वक़्त यही है गम, उस वक़्त कहा थे हम
कहाँ  तुम चले गये हो

चिट्ठी ना कोई संदेश… जाने
 वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गये हो

हर चीज़ पे अश्कों से लिखा है तुम्हारा नाम
ये रास्ते घर गलियाँ तुम्हे कर ना सके सलाम
हाय दिल में रह गयी बात, जल्दी से छुड़ा कर हाथ
कहाँ  तुम चली गयी हो

चिट्ठी ना कोई संदेश…
जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चली गयी हो

अब यादों के काँटे इस दिल में चुभते हैं
ना दर्द  ठहरता है ना आँसू रुकते हैं
तुम्हे धूंड रहा है प्यार, हम कैसे करें इक़रार
कहा तुम चले गयेहो

Monday, September 12, 2011

श्वेता  तुम्हे याद है पिछली बार गणेश बिसर्जन मैं तुमने काफ़ी पूजा अर्चना की थी और अगले ही दिन कनागत (पित्र पक्षा) लग रहे थे, ऐसा ही कुछ आज भी है आज से कनागत (पित्र पक्षा)लग रहे हैं, कल गणेश बिसर्जन हुआ था हालाँकि पिछले बार Dt.23th Sep.थी और आज 12th Sep. है,




मैं आफ़िस जाने के तैयारी कर रहा था की अचानक सुबह ८:१५ पर तुम्हे दर्द हुआ और तभी हम सब लोग तुम्हे हॉस्पीटल ले गये थे और डॉक्टर ने दोपहर ३:०० बजे का टाइम दिया था

तुमने मुझसे कहा कि आज से कनगत लग रहे है देखना तुम्हारे बाबा आएँगे और ऐसा ही हुआ शाम ०४:४० पर हमारा अंश इस दुनिया मैं आया, हम बहुत खुश थे लगा की जैसे सारी मेहनत सफल हुई एक अजीब सी खुशी महसूस कर रहा था, लगा बस life settle ho gayee. तुम्हारी तबीयत थोड़ी खराब हो रही थी ओर तुम्हे बुखार आ गया था पर डॉक्टर बोला कि घबराने की कोई बात नही है

with Mom n Dad

आज हमारा अंश एक साल का हो चुका है श्वेता, सब कहते है मुझसे कि पहला जन्मदिन मनाना है पर पता नही क्यों मैं नही मनाना चाहता, तुम्हारे बिना मुझे हर खुशी अधूरी लग रही है श्वेता, ये आँसू आज भी थमने का नाम नही लेते, खुल कर मैं रो भी नही सकता ये ब्लॉग लिखते समय मेरे हाथ काप रहे है बही मंज़र मेरी आँखों के सामने आ रहा है

मुझे बिश्वास है कि तुम अंश के आस पास ही रहती हो  क्योंकी वो कभी कभी तस्वीर या दीबार को देख कर बहुत हंसता है उसे ढेर सारा  आशीर्वाद देना और उसे अपने जैसा बनाना मेरे जैसा नही क्योंकि  I am failure man.


Friday, September 2, 2011

दो नैना और इक कहानी

दो नैना और इक कहानी


 याद है तुम्हें जब तुमने एक बार कहा था कि कहीं ऐसा न हो कि एक दिन हमें एक दूसरे को देखने के लिए आँखें तरस जाएँगी...पता नहीं क्या सोचकर तुमने ये कहा था...शायद तुम्हें एहसास हो चला था कि ये जिंदगी हमारी झोली में क्या डालने वाली है...शायद ये एक एहसास ही तो था जो हमे जोड़े रहा...जब तुम कुछ पूँछा करती थीं...तो मैं खामोशी से मुस्कुरा दिया करता था...और आज देखो मेरे पास कहने को इतना कुछ है...पर वो मुस्कुराती हुई आँखें नहीं जो मेरी तरफ देखा करती थीं...कुछ भी बड़े प्यार से सुनने के लिए


                                                                                   



मैं कहना चाहता हूँ कि मैं तुम्हें बहुत याद करता हूँ...कि जब तुम हवा में अपना दुपट्टा उड़ाया करती थीं...तो तुम बहुत अच्छी लगती थीं...कहना चाहता हूँ कि जब तुम खिलखिला के हँसती थीं तो तुम्हारी हँसी मेरे दिल में असर करती थी...और हर बार मैं यही ख्वाहिश पैदा करता था कि तुम यूँ ही जिंदगी भर मेरे साथ खिलखिला कर हंसती रहो...कहना चाहता हूँ कि जब तुम बच्चों सी हरकतें करती थीं तो तुम पर बहुत प्यार आता था


कहना चाहता हूँ कि तुम्हारी आइसक्रीम खाने की जिद मुझे बहुत पसंद थी...कहना चाहता हूँ कि तुम्हारा चुपके से मेरे गाल पर किस करना बहुत अच्छा लगता था...कहना चाहता हूँ कि तुम मुझे बहुत याद आती हो...कहना चाहता हूँ कि तुम्हारी याद मुझे हँसा जाती है और फिर ना जाने क्यों रोने को मन करने लगता है...और ना जाने क्यों, ना चाहते हुए भी आँखों से आँसू छलक जाते हैं


ये जिंदगी बहुत खूबसूरत है...इसे ख़ुशी से जीना...चाहे मैं रहूँ या ना रहूँ...याद है तुमने ये बात जिस पहाडी के पत्थर पर बैठ मुझसे कही थी...उस पर ना जाने क्यों मैं दोबारा गया...वो मुझे वीरान सी जान पड़ी...बिल्कुल मेरी जिंदगी की तरह...बेरंग, बेजान, बेमतलब सी...और जब इस सोच से उबर कर खुद को देखा तो पाया कि मैं भीग चुका हूँ...उस बारिश में जो काफी देर से हो रही थी...कमाल है आज पहली बार ऐसा हुआ कि बारिश हुई और मुझे उसके बंद होने पर पता चला...याद है मुझे तुम्हें बारिश बहुत पसंद थी...है ना...क्या आज भी तुम्हें बारिश में भीगना पसंद है


किताबों के दरमियान रखे हुए उन सूखे गुलाबों की पंखुडियों को जब हाथ से स्पर्श करता हूँ...तो ये मुझे पुरानी यादों में लेकर चले जाते हैं...वो तुम्हारे नर्म हाथ और मखमली बाहें...जिनसे तुम मेरे सीने से लिपट जाया करती थीं...वो किताबें जो तुमने दी थीं वो उसमें लिखी हुई कहानी ना बोल कर हमारी अपनी कहानी कहने लग जाती हैं...कमबख्त ये भी नहीं समझती...कैसे समझेंगी तुम्हारे हाथों का स्पर्श जो है उस पर और जिसे तुमने चूम कर दिया था...हर वो किताब उतनी ही महफूज़ है मेरे पास ठीक तुम्हारी यादों की तरह...


ये जो आँखें हैं जिन्हें तुम अक्सर दो नैना कहा करती थीं...आज भी इक कहानी बसी हुई है इनमें...पता है किसकी और कौन सी कहानी...तेरे मेरे ख्वाबों की कहानी...तेरी मेरी ख्वाहिशों की कहानी...


हाँ जब तब इन दो नैनों में कभी बादल तो कभी पानी नज़र आ जाता है...और उसके साथ ही वो ख्वाहिशें और वो ख्वाब दोनों ही गीले हो जाते हैं


Thursday, September 1, 2011

रूठ ना जाना तुमसे कहूँ तो

मेरी जिंदगी,

आज जब शाम हो चली है...बादलों ने अपना रुख मोड़ लिया है...चारों ओर काली घटाएं छा गयी हैं...और इस वीराने में तुम्हारी याद ने दस्तक दे दी है....हाँ एक यही तो है जो हरदम मेरे साथ रहती हैं...तुम्हारी यादें...तुम्हारी बातें...जो हँसाती भी है और आँखों में आंसू भी दे जाती हैं...तुम्हारा मुझसे रूठ कर चले जाना ठीक साँसों के बिना जी ना पाने जैसा है....जब तुम इतने दिनों बाद मुझसे रूठ कर गयी तो हर पल ही ये एहसास होता है कि तुम्हारे बिना जीना मुमकिन ही नहीं...

इस घर में कुछ भी ऐसा नहीं जिससे तुम्हारी याद ना जुडी हो...वो बाहर का लॉन, वो कॉफी का कप, वो सोफा, वो बिस्तर, रसोई...हर जगह, हर चीज़ पर तुम्हारा जैसे स्पर्श है...जो हर घडी तुम्हारी याद दिलाता है...तुम्हारी अलमारी, तुम्हारी चूड़ियाँ ,  ठीक वैसे की वैसी ही हैं...मैंने उन्हें वैसा ही रख छोडा है...उनसे ढेर सारी यादें जो जुडी हैं...वो तुम्हारा मेरे सीने पर सिर रखकर ढेर सारी बातें करना...अपने अरमानों, अपने सपनो की बातें करना...मेरा तुम्हारे बालों को सहलाना...सब कुछ याद आता है...कहने को तो अभी चन्द रोज़ हुए हैं लेकिन ये एक युग बीतने जैसा है

जब रसोई में तुम मेरे लिए पूरे मन से कुछ पकाया करती थी और फिर पीछे से जाकर जब मैं तुम्हें अपनी बाहों में भर लेता और तुम्हारा कहना कि देखो वो जल जायेगा....मैं तुम्हें आटा लगा दूँगी....वो लिए हुए ढेर सारे चुम्बन....वो तुम्हारा कोमल स्पर्श....तुम्हारे चले जाने पर सब रह रहकर याद आते हैं

बाहरी लॉन में बैठ तुम्हारे साथ कॉफी के घूट के साथ की वो ढेर सारी गपशप...वो साथ मैं लुडो खेलना और मुझे हरा के  तुम्हरा खुश होना , वो तुम्हारा मुस्कुराना...बरसती हुई बूंदों तले तुम्हारा भीगना...मुझे अपने पास खींच लेना...दूर के सुहाने नजारों को दिखाना...सब जैसे मेरे ख्यालों में, यादों में बस गया है...और एक तुम हो जो दूर जाकर बैठी हो....हाँ गलती तो मेरी ही है.....जो तुम्हें जाने दिया ...

तुम गयी हो तब से एक पल के लिए भी मुझे राहत नहीं...न कॉफी के घूट हैं...न कोमल स्पर्श...ना वो ढेर सारी बातें...ना गपशप...ना वो अब नजारे अच्छे लगते.....


तुम हो कि बस चली गयी रूठकर मुझसे...जानती हो कि मुझे ठीक से मनाना भी नहीं आता...आज जब तुम मेरे पास नहीं हो तो लगता है कि कहीं ये साँसे भी साथ ना छोड़ जाएँ...बस एक ही बात जानी और समझी है कि तुम नहीं तो कुछ भी नहीं....तुम्हारे बिना जीना मुमकिन नहीं...

हाँ अब इस अधूरेपन के साथ जीना मुमकिन नहीं...इस एहसास के साथ कि तुम अपने इस चाहने वाले नादान, नासमझ, बुद्धू को माफ़ करोगी और जल्द से जल्द वापस आकर तुम्हारे अपने सब कुछ को संभालोगी...इस वीराने को ख़त्म करोगी और मुझे एक और मौका दोगी...ताकि मैं तुम्हें जता सकूं कि इस दिल में तुम्हारे लिए कितना प्यार है...मेरी जिंदगी में तुम क्या हो....मेरे लिए तुम क्या हो...मैं बाहर देख रहा हूँ बारिश की बूंदे अपने बाहरी लॉन की दीवार को भिगो रही हैं...और मेरे आँसुओं की बारिश इस ख़त को....
         "तुम्हारा अपना...तुम बिन अधूरा"