Tuesday, April 30, 2013


एक अध्याय और ख़तम हो गया.............................


आज 24.04.13  फिर उसी समय एक खबर आई की तुम्हारी मम्मी हम सबको छोड़कर चली गयी , ऐसा लगा जैसे कोई कीमती चीज़ अचानक खो गयी हो,  उनके जाने से ऐसा लगा की तुम मुझसे और ज़्यादा दूर हो गयी हो

मैं विशाल और अंश इलाहाबाद के लिए तुरंत रवाना हो गये उसी घर के लिए जहाँ बहुत अच्छी यादें जुड़ी हुई थी मेरी , उस घर मैं घुसते ही तुम्हारी यादे फिर से हरी हो गयी मैं वहाँ दो दिन तक रहा और इन दो दिनों मैं ऐसा लगता रहा जैसे की तुम अभी पहले की तरह कमरे से निकल कर मेरे पास आ जाओगी