Friday, September 25, 2015

फिर आया September का महीना थोड़ी खुशी तोड़ा गम लेकर !!




फिर आया September का महीना थोड़ी खुशी तोड़ा गम लेकर !!

मैडम जी विशाल के बेटा हुआ है बिल्कुल अंश के जैसा,
इस बार २०१० की यादें ताज़ा हुई, अपना अंश गणेश चतुर्थी के बिसर्जन के बाद हुआ था, और वंश (विशाल का बेटा) गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले रात को ११ बजे हुआ दोनो मैं सात दिन का अंतर है.

जब नीतू को ऑपरेशन के लिए अंदर ले गये, डॉक्टर ने आकर कहा कि बेटा हुआ है सब खुश हो गये पर मैं टेन्षन मैं था कि नीतू भी ठीक हो, पाँच दिन वहाँ रहे, सब लोग नॉर्मल थे पर मैं उसकी रिपोर्ट्स पर नज़र रख रहा था की सब कुछ ठीक रहे और हम सब लोग अच्छी तरह से घर आ जाएँ, सविता, ने बहुत ज़िम्मेदारी से काम किया, 

सब कुछ ऐसे हो रहा था जैसे पाँच साल पहले हुआ था  सिवाय एक बात के कि मैं तुम्हे घर वापिस ना ला सका. उस दिन मैं तुम्हारे मुम्मी पापा को लाने विशाल को भेज देता, तो कम से कम तुम्हे आख़िरी बार देख तो लेता या तुम मेरा चेहरा देखकर मुझे छोड़ कर ही नही जाती. 

मैं इन सब चीज़ों से इतना घबरा गया हूँ कि दूसरे बच्चे  के बारे मैं सोचने के हिम्मत भी नही कर पाता, अपना अंश २३.०९.२०१५ को पाँच साल का हो गया, शैतानी मैं मुझ पर गया है और मासूमियत मैं तुम पर.

जिंदगी बस ऐसे ही चल रही है मैडम जी,