Tuesday, August 21, 2012

तेरे खुश्बू से भरे खत मैं जलाता कैसे


तेरे खुश्बू से भरे खत मैं जलाता कैसे
प्यार मैं डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे

जिनको दुनिया की निगाओं से छुपाए रखा
जिनको एक् उम्र कलेजे से लगाए रखा
दीन जिनको जिन्हे ईमान बनाए रखा

तेरे खुश्बू मैं भरे खत मैं जलाता कैसे

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद पानी की तरह
याद थे मुझको जो पैगाम-ए-ज़ुबानी की तरह
मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह

तेरे खुश्बू मैं भरे खत मैं जलाता कैसे

दूर दुनिया की निगाओं से जो बचकर लिखे
साल ह साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन मैं कभी रात मैं उठ कर लिखे

तेरे खुश्बू मैं भरे खत मैं जलाता कैसे

तेरे खत आज मैं गंगा मैं बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी मैं लगा आया हूँ

तेरे खुश्बू मैं भरे खत मैं जलाता कैसे
प्यार मैं डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे