I was wrong when i was say that Your are my "LIFE LINE" because today you are not with me but i am still ALIVE.
Wednesday, April 25, 2012
Wednesday, April 18, 2012
कहाँ तुम चले गए ?
कहाँ तुम चले गए ? तुम थे तो
किसी को देखकर ख्याल आता था "जिंदगी धुप तुम घना साया"
जब सामने कोई आ जाता था तो ना जानिए क्या हो जाता था
और हजारों ख्वाहिशें थी जिन पर दम निकल जाता था
तुम थे तो कागज़ की कश्ती भी प्यारी प्यारी लगती थी
और परदेश में रहकर भी देश के चाँद से यारी रहती थी
उनके आने की खबर महकने से खुशबुओं से घर महकता था
और झुकी झुकी सी नजर बेक़रार हुआ करती थी
तुम थे तो पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल जानता था हमारा
और हर शाम किसी के आने की खबर मेहका करती थी
हम सोचा करते थे "तेरे बारे में जब सोचा नहीं था तो मैं तनहा था
मगर इतना नहीं था"
और तमन्ना फिर मचल जाए अगर वो मिलने आ जाए
तुम थे तो हम चलते फिरते कह देते थे "मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हे हो जाएगा"
और किसी के मिलने आने की बात से ही तम्मना फिर मचल जाती थी"
तुम थे तो सरकते जाते थे रुख से नकाब आह्स्ता आहिस्ता
और आईने जैसे चहरे हुआ करते थे
तुम थे तो किसी के मुस्कुराने पर गम छुपाने की बात मन में आती थी
और दिल में दबी फरियादें भी आँखों में दिख जाती थी
कोई होंठो से छु लेता था तो गीत अमर हो जाते थे
और शाम से ही आँख में नमी सी आ जाती थी
किसका चेहरा अब हम देखे उन गजलों के लिए
तेरी आवाज़ दिल में बस गई उम्र भर के लिए
बिन चिट्ठी बिन सन्देश कहाँ तुम चले गए
पर जाते जाते तुम हमें अच्छी निशानी दे गए
अब तो बस यही कह सकते है
शाम से आँख में नमी सी है
सदमा तो है मुझे भी की तुझसे जुदा हू मैं
पर हाथ छूटे तो भी रिश्ते नहीं टूटा करते
इसलिए बस चाक जिगर के सी लेते हैं जेसे भी हो जी लेते हैं.....
क्यूंकि अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं...
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