Sunday, September 1, 2013


"जिंदगी किसी के लिए नही बदलती मैडमजी
बस जीने की वजह बदल जाती है" As Like Me 


खरीद सकते आपको तो अपनी ज़िंदगी बेच कर भी खरीद लेते मैडमजी
पर अक्सर सुना है बुज़ुर्गो से कुछ लोग कीमत से नही किस्मत से मिला करते है...


हर आईने की किस्मत में तस्वीर नही होती,
हर किसी की किस्मत एक जैसी नही होती......
बहुत खुशनसीब होते हैं है"वो".........
जिनके हाथो मे"मिलने"के बाद"बिछड़ने" की लकीर नई होती..... 



ये तो ज़मीन की फितरत है की हर चीज़ सोख लेती है, वरना किसी की याद में गिरने वाले आसुओं का एक अलग ही समुन्दर होता....

Madam Ji


बहुत दिनो बाद तुम मेरे सपने मैं आई, बहुत अच्छा लगा पर जब आँख 

खुली तो कही ज़्यादा उदास हुआ अब तो बस तुमसे सपने मैं ही 

मुलाकात हो सकती है और वो भी जब तुम चाहो :-)

फिर आया September का महीना खुशी और बहुत सा गम 

लेकर, समझ नही आता celebrate  करूँ या शोक मनाऊ 

कभी-कभी यूँ ही अचानक बैठे-बैठे मन उदास सा हो जाता है, कोई 

कारण समझ नहीं आता... आस-पास की भीड़ को देखकर मन उचाट 

हो जाता है... किसी से बात करने का दिल नहीं करता... बस सोचता हूँ 

काश कोई अपना सा आ जाए जिसकी गोद में सर रखकर सो जाऊं... 

ऐसे में अक्सर कानों में इयरफोन लगाकर धीमी आवाज़ में कुछ sad 

songs सुनता हूँ... सोने की एक नाकाम सी कोशिश करता हूँ, मोबाईल 

में कुछ तस्वीरों को पलटता हूँ... और अनजाने में ही आंसू की कुछ बूँदें 

धीमे से आखों की कोर से लुढ़क जाती हैं....




Tuesday, April 30, 2013


एक अध्याय और ख़तम हो गया.............................


आज 24.04.13  फिर उसी समय एक खबर आई की तुम्हारी मम्मी हम सबको छोड़कर चली गयी , ऐसा लगा जैसे कोई कीमती चीज़ अचानक खो गयी हो,  उनके जाने से ऐसा लगा की तुम मुझसे और ज़्यादा दूर हो गयी हो

मैं विशाल और अंश इलाहाबाद के लिए तुरंत रवाना हो गये उसी घर के लिए जहाँ बहुत अच्छी यादें जुड़ी हुई थी मेरी , उस घर मैं घुसते ही तुम्हारी यादे फिर से हरी हो गयी मैं वहाँ दो दिन तक रहा और इन दो दिनों मैं ऐसा लगता रहा जैसे की तुम अभी पहले की तरह कमरे से निकल कर मेरे पास आ जाओगी





Thursday, February 7, 2013

"मेरे हाथों की लकीरों मैं ये ऐब छुपा है

आज बहुत दिनो के बाद इस Blog पर कुछ लिख रहा हूँ, बहुत सारे ऐसे पल आए और गये की
जब इच्छा हुई की तुम्हे बताऊं की कैसे मैने तुम बिन अंश का जन्मदिन Celebrate किया,
कैसे मैने तुम्हारे जन्मदिन पर अकेले मैं तुम्हे याद किया, तुम बिन शिर्डी भी गया और वहाँ भी
तुम्हे बहुत मिस किया  विशाल की शादी मैं तुम्हारी बहुत याद आई, एक पल को लगता क़ि जैसे
तुम अभी आ जाओगी अपनी वही मुस्कराहट लेकर


कभी-कभी ज़िंदगी मे ये तय करना बड़ा मुश्किल हो जाता है क़ि ग़लत क्या है ???

"वो झूठ जो चेहरे पे मुस्कान लाए"
          या
"वो सच जो आँखों  मे आँसू लाए"
 मेरी परवाह मत करना,मेरी ज़िन्दगी की हर शाम बस यूँ ही गुजरेगी... सूरज की डूबती किरणों में ओझल हो जाएगी धीरे धीरे... लेकिन मैं जहाँ भी रहूँ, तुम्हें तोहफे में अपनी तन्हाई और तुम्हारी मुस्कान भेजा करूंगा...
"मेरे हाथों की लकीरों मैं ये ऐब छुपा है
में जिसे चाह लूँ वो मेरा नहीं रहता"