Sunday, September 1, 2013

Madam Ji


बहुत दिनो बाद तुम मेरे सपने मैं आई, बहुत अच्छा लगा पर जब आँख 

खुली तो कही ज़्यादा उदास हुआ अब तो बस तुमसे सपने मैं ही 

मुलाकात हो सकती है और वो भी जब तुम चाहो :-)

फिर आया September का महीना खुशी और बहुत सा गम 

लेकर, समझ नही आता celebrate  करूँ या शोक मनाऊ 

कभी-कभी यूँ ही अचानक बैठे-बैठे मन उदास सा हो जाता है, कोई 

कारण समझ नहीं आता... आस-पास की भीड़ को देखकर मन उचाट 

हो जाता है... किसी से बात करने का दिल नहीं करता... बस सोचता हूँ 

काश कोई अपना सा आ जाए जिसकी गोद में सर रखकर सो जाऊं... 

ऐसे में अक्सर कानों में इयरफोन लगाकर धीमी आवाज़ में कुछ sad 

songs सुनता हूँ... सोने की एक नाकाम सी कोशिश करता हूँ, मोबाईल 

में कुछ तस्वीरों को पलटता हूँ... और अनजाने में ही आंसू की कुछ बूँदें 

धीमे से आखों की कोर से लुढ़क जाती हैं....




1 comment:

  1. कभी-कभी यूँ ही अचानक बैठे-बैठे मन उदास सा हो जाता है, कोई

    कारण समझ नहीं आता... आस-पास की भीड़ को देखकर मन उचाट

    हो जाता है... किसी से बात करने का दिल नहीं करता... बस सोचता हूँ

    काश कोई अपना सा आ जाए जिसकी गोद में सर रखकर सो जाऊं...

    ऐसे में अक्सर कानों में इयरफोन लगाकर धीमी आवाज़ में कुछ sad

    songs सुनता हूँ... सोने की एक नाकाम सी कोशिश करता हूँ, मोबाईल

    में कुछ तस्वीरों को पलटता हूँ... और अनजाने में ही आंसू की कुछ बूँदें

    धीमे से आखों की कोर से लुढ़क जाती हैं....

    ReplyDelete