Thursday, August 25, 2011

तुम “ज़िंदगी” हो कोई “ख्वाब” नही.

उस ने कहा!
तुम मे पहले जैसी बात नही
~
मैने कहा!
ज़िंदगी मे तेरा साथ नही
...~
उसने कहा!
क्या अब भी किसी की आँखों मे डूब जाते हो?
~
मैने कहा!
अब किसी आँख मे वो बात नही..
~
उसने कहा!
क्यों इतना टूट कर चाहा था मुझे?
~
मैने कहा!
इंसान हूँ पत्थर ज़ात नही
~
उसने कहा!
क्या मैं बेवफा हों?
~
मैने कहा!
मुझे अब वफ़ा की तलाश नही!
~
उस ने कहा!
भूल जाना मुझको
~
मैने कहा!
तुम “ज़िंदगी” हो कोई “ख्वाब” नही श्वेता

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