Tuesday, August 16, 2011

प्यारी श्वेता,

तुम्हे तो पता ही है कि पहले मैं रोजाना शिवजी के मंदिर जाया करता था क्योंकि मैं समझता था की वो मेरे साथ कभी कुछ ग़लत नही होने देंगे पर शायद मैं ग़लत था और तुम्हारे जाने के बाद मैने वहाँ जाना छोड़ दिया है
पर कुछ दिन पहले नागपंचमी की सुबह ४ बजे मेरी पीठ पर एक छोटा साँप का बच्चा चिपका हुआ था लेकिन वो बेचारा मर  चुका था
पिछले कुछ दिनो से मुझे कुछ अजीब से सपने आ रहे थे साँप बिच्छू देख रहा हू हालाँकि वो मुझे कुछ नुकसान नही पहुँच रहे हैं  मैं  सपने मैं शिवलिंग देख रहा हूँ, बाबा अमरनाथ जी का शिवलिंग देख रहा हूँ

इसीलिए कल मैं राजेश्वर मंदिर फिर से गया और वही सब पुरानी बातें दुबारा से rewind हो आई जब हम लोग साथ मैं जाते थे पूजा करते थे नन्दीगद के कान मैं मन्नत माँगना साथ साथ आरती करना, जब हमारी शादी हुई थी तब पहले हमने यही आकर जिंदगी भर साथ साथ रहने के प्रार्थना की थी, जब अंश हुआ था तब सबसे पहले यही आकर भगवान को धन्यबाद दिया था  पर वो सब बेकार ही गया क्योंकि तुम्हारे बिन सब खुशी बेकार है, सब पूजा बेकार है कही ना कही इस दिल मैं शिवजी के लिए शिकायत जिंदगी भर रहेगी

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