आज कनागत की चतुर्थी है
तुम्हे छोड़कर गये 6 साल हो गये मेडम जी !! पर लगता है जैसे कल ही की बात है
तुम्हे याद है एक बार मन मूवी का एक पायल बाला सीन देखकर मैं तुमसे लिपट कर बहुत रोया था
और तुमसे कहा था की तुम मेरे जिंदगी हो, तुम्हारे बिना मैं एक पल भी नही रह सकता
पर देखो आज पूरे साल गुज़ार लिए, कैसे गुज़रे वो एक अलग बात है
मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है मैडम जी , ये ब्लॉग लिखना मेरे लिए लिखना बहुत मुश्किल हो जाता है
आँसू रूकने का नाम ही ले रहे
मैं आज भी वहीं हूँ जहाँ तुम मुझे छोड़ गयी थी, सबको खुश करने मैं लगा हूँ
मुझे क्या चाहिए इसकी सोचने कि फ़ुर्सत ही नही है, सब खुश रहे तो मैं भी खुश हो जाऊँगा यही सोचता हूँ
कभी कभी बहुत मन करता हैं पुरानी यादों मैं लोटने का ओर खुल कर रोने का इसीलिए जब भी मौका लगता है
सबसे छुपकर वो संदूक खोला, जहाँ तुम्हारे कपड़े, ग्रीटिंग कार्ड्स रखे थे उन यादों को देख कर हँसी भी आए ओर उससे कहीं ज़्यादा लिपट कर रोया भी, सबसे छुपकर अपनी शादी की सीडी देखता हूँ , वीडियो मैं तुम्हे देखकर बहुत अच्छा लगता है
बहुत आसान होता है किसी को बीच मैं छोड़ कर जाना मेडम जी !!
लोग आसानी से कह देते है की सब कुछ भूल कर जंदगी फिर से शुरू करो
पर नही आसान होता अपने पहले प्यार को भूलना !!
नही आसान होता आँसू को रोक पाना जब ये ब्लॉग लिखता हूँ
नही आसान होता किसी रोमॅंटिक गाने को सुनकर तुम्हारे चेहरा ध्यान मैं ना आना
नही आसान होता भूलना कुछ तारीख 17th Feb, 24Th Feb, 27Th Feb, 27Th Sep, 2 Oct, 9 Nov
नही आसान होता दिल मैं आँसू रखना ओर बाहर से लोगो को खुश रहने का दिखावा करना
नही आसान था विशाल की शादी मैं तुम्हे हर पल मिस ना करना, पर वो अहसास छुपाना
नही आसान होता जब मूवी मैं कुछ सीन मैं अपनी कहानी को अहसास करना ओर फिर उस समय इन कम्बख़्त आँसू को रोक पाना !!
नही आसान है वो हादसा भूलना
बस खुशी इस बात की है की अंश को एक अच्छी माँ मिली सविता के रूप मैं ओर उसे अपने ननिहाल से भी पूरा प्यार दुलार मिला.सविता मेरी भी बहुत केयर करती है
"ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से ‘वो लोग ‘ ,जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते"
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कहते हैं लोग भूल जा उसको, उनको कैसे बताएँ ये याद ही तो उसकी आख़िरी निशानी है