Monday, May 2, 2011

तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है

कुछ गाने मैने कई बार सुने है श्वेता पर शायद उन्हे महसूस अब 
कर पा रहा हूँ  ये भी उन्ही मैं से एक है 


"तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है 
यह माना की महफ़िल जवान है हसीन है 
मुझे फिर तबाह कर मुझे फिर रुला जा 
सितम करने वाले कहीं से तू आजा

आँखों में तेरी सूरत बसी है 
तेरी ही तरह तेरा गम भी हसीन है
जिधर भी यह देखे जहाँ भी यह जाए 
तुझे ढूँढती है यह पागल निगाहें

मैं ज़िंदा हूँ लेकिन कहाँ ज़िंदगी है 
मेरी ज़िंदगी तू कहाँ खो गयी है 
तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है
यह माना की महफ़िल जवान है हसीन है"
 

3 comments:

  1. वो छोड़ गए हमे तनहा न जाने उनकी क्या मज़बूरी थी
    खुदा ने कहा इसमे उनका कोई कसूर नहीं
    ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधुरी थी

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    1. ह्म सही है जिस तरह से खुद उन्होने अपनी प्रेम कहानी अधूरी लिखी थी
      कृष्णा और राधा जी की और सीता माता और राम जी की..................

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  2. हो जाऊँ खामोश जिस दिन ना समझना दूर तुमसे हो गई हूँ
    खत्म हुई बंदिशे जिस्म की अब करीब रूह के हो गई हूँ

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