कुछ गाने मैने कई बार सुने है श्वेता पर शायद उन्हे महसूस अब
कर पा रहा हूँ ये भी उन्ही मैं से एक है
"तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है
यह माना की महफ़िल जवान है हसीन है
मुझे फिर तबाह कर मुझे फिर रुला जा
सितम करने वाले कहीं से तू आजा
आँखों में तेरी सूरत बसी है
तेरी ही तरह तेरा गम भी हसीन है
जिधर भी यह देखे जहाँ भी यह जाए
तुझे ढूँढती है यह पागल निगाहें
मैं ज़िंदा हूँ लेकिन कहाँ ज़िंदगी है
मेरी ज़िंदगी तू कहाँ खो गयी है
तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है
यह माना की महफ़िल जवान है हसीन है"
वो छोड़ गए हमे तनहा न जाने उनकी क्या मज़बूरी थी
ReplyDeleteखुदा ने कहा इसमे उनका कोई कसूर नहीं
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधुरी थी
ह्म सही है जिस तरह से खुद उन्होने अपनी प्रेम कहानी अधूरी लिखी थी
Deleteकृष्णा और राधा जी की और सीता माता और राम जी की..................
हो जाऊँ खामोश जिस दिन ना समझना दूर तुमसे हो गई हूँ
ReplyDeleteखत्म हुई बंदिशे जिस्म की अब करीब रूह के हो गई हूँ