Wednesday, December 8, 2010

ये उनकी जुदाई .........

ये उनकी जुदाई पल पल रुलाने लगी है मुझे,
तराने ग़म के ज़िन्दगी सुनाने लगी है मुझे,

वो तो अब शायद आयेंगे नहीं लौटकर कभी,
उनकी याद रोज आ के सताने लगी है मुझे,

जब से उम्मीदों के दीये बुझने लगे हैं दिल में,
ये तनहाई कुछ कुछ रास आने लगी है मुझे,

उनके जाने का कुछ यूँ असर हुआ है “साहिल”,
हर सांस जैसे मौत के पास लाने लगी है मुझे,

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